Wednesday, July 11, 2007

गिरितनया


गिरि को अचल कहें या अचला गिरिजा को
_____तप नहीं जिनका गिरीश भी डिगाए हैं
बरस करोड़ों बीते अनुभव मीठे-तीते
_____शीश गिरिराज निज आज भी उठाए हैं

गौरी खुद जगमाता हिमवान ताके तात
_____तभी देवतातमा कहत कालिदास हैं
काको कहौं दोनों हैं एक से बढ़कर एक
_____गिरि से हैं गौरी या गौरी से गिरिराज हैं
------ ------- ------- ---------- ------- सूर्यांशी

3 comments:

दिवाकर मणि said...

रचना अच्छी है. आगे और लिखते रहो.....

Mamta Tripathi said...

अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा॥

Mamta Tripathi said...

प्रस्तर के ये खण्ड भी बहुत कुछ कहते हैं , सिखाते हैं, तथा हमे यह भी याद दिलाते हैं कि यदि पर्यावरण के प्रति हम जागरूक नही हुये तो वह दिन दूर नही जब दिल्ली कि भी यही दशा होगी।...................प्रस्तर ही......................प्रस्तर होगा।