Wednesday, July 11, 2007

गिरितनया


गिरि को अचल कहें या अचला गिरिजा को
_____तप नहीं जिनका गिरीश भी डिगाए हैं
बरस करोड़ों बीते अनुभव मीठे-तीते
_____शीश गिरिराज निज आज भी उठाए हैं

गौरी खुद जगमाता हिमवान ताके तात
_____तभी देवतातमा कहत कालिदास हैं
काको कहौं दोनों हैं एक से बढ़कर एक
_____गिरि से हैं गौरी या गौरी से गिरिराज हैं
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Tuesday, July 10, 2007

मेरा चित्र

अमल धवल गिरि के शिखरों पर .......... ...... ...... बादल को घिरते देखा है

this is the site of Gulmarg (KASHMIR) while tracking to touch the snow with two other people NARAYAN JI AND ADARSH SHUKLA (11 November 2006)

साधना


सत्य है नित ही प्रगति हित है जरूरी साधना
रख तू अनुशासन स्वयं पर पर तू खुद को बांध ना
पथ पे कुछ बढ़ने से पहले मन को अपने दृढ़ करो
मन में जो हो साध ना तो क्या करेगी साधना ?

है नहीं पर्याय अनुशासन दमन का अपने ही
दमन ख़ुद का करके नष्ट करो न अपने सपने ही
भ्रम में हैं वे लोग जो यम-नियम को समझे दमन
दबने को वे नहीं कहते कहते बनने को सुजन -सूर्यांशी

जय भवानी

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते

श्रीगणेशाय नमः

ओ३म्

लम्बोदरं परमसुन्दरमेकदन्तम्
रक्ताम्बरं त्रिनयनं परमं पवित्रम्
उद्यद्दिवाकरनिभोज्ज्वलकान्तिकान्तम्
विघ्नेश्वरं सकलविघ्नहरं नमामि