Sunday, November 18, 2007

वन्दे मातरम्


वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां
मलयजशीतलाम्
सस्यश्यामलां मातरम्
वन्दे मातरम्


शुभ्रज्योत्स्नां पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीम्
सुमधुरभाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम् ॥

रामचरितमानस- सुन्दरकाण्ड मङ्गलाचरण

जय श्री राम

शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् ।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ॥

नान्यास्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा ।
भक्तिं प्रयच्छ रभुपुङ्गवनिर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च ॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥

संस्कृते नवलेखनम्


लिखने वाले लिखते रहते हैं और पढ़ने वालों का इन्तज़ार नहीं करते । परन्तु इस बात से प्रभावित तो अवश्य होते हैं कि उनकी लिखी बात कितनी पढ़ी जा रही है । कोई इसी आशा में लिखता जाता है कि आज मेरी रचना न भी पढ़ी जाए तो क्या हुआ "कालोऽनन्तः विपुला च पृथिवी, कोई न कोई कभी न कभी तो धरती पर आएगा जो मेरी प्रतिभा को पहचानेगा ।" परन्तु एक बात तो है कि लिखने वाले को कोई तो प्रेरक तत्त्व चाहिए ही । संस्कृत में लिखने वालों के साथ यही प्रेरक की कमी है । यद्यपि कुछ पुरस्कार प्रेरक तो बनते हैं पर सबसे अच्छा प्रेरक है रचना का पढ़ा जाना । संस्कृत के लघु रचनाकारों की बात प्रकाशित नहीं हो पाती है इससे वे नया-नया लिखने को प्रोत्साहित नहीं होते ।

पर आज हमारे पास इस समस्या से मुक्ति का उपाय है- इण्टरनेट प्रकाशन । अपने ब्लॉग पर अपनी छोटी-बड़ी बातें लिखिए, जितना हो सके उतना नया और रचनात्मक लिखिए, उन्हें ज्यादा नहीं तो आपके आस-पास के लोग तो पढ़ लेंगे । और अच्छा हो जब वे उस ब्लॉगपोस्ट पर टिप्पणी (Comment) भी दें । दूसरों की प्रतिक्रिया देखकर आपका उत्साह बढ़ेगा और आप और अच्छा लिखने के किए प्रेरित होंगे । इसमें एक फायदा भी है कि इसमें आपके आसपास के लोगों की ही प्रतिक्रियाएँ होंगी, उद्भट विद्वानों की नहीं जो कृति के स्तर पर सवाल उठाएँगे । वे आपके आस-पास के लगभग आप जैसे ही लोग होंगे । आप दूसरों से ऐसे प्रोत्साहन की अपेक्षा रखें उससे पहले आवश्यक है कि आप जिनका ब्लॉग पढ़ें, तो यदि कुछ कहने लायक लगे तो उसपर टिप्पणी अवश्य दें । यह आपकी काव्य प्रतिभा को भी निखारने में सहयोगी होगा ।