Saturday, November 12, 2016

देव असुर विचार

यह चिन्तन या अवधारणा यहाँ व्यक्त करने की इच्छा श्री रवीन्द्र दास जी की देव शब्द के अर्थ के विषय में फेसबुक पर की एक पोस्ट से जगी | मुहम्मद मुस्तफा खाँ द्वारा रचित शब्दकोश में देव शब्द का स्रोत फारसी बताया गया है और उसका अर्थ एक क्रूर विलेन जैसा बताया गया है | भारत में अधिकतर लोगों को यह अर्थ अजीब लगेगा पर यह सही है | संस्कृत भाषा के देव का अर्थ अलग है और फारसी भाषा के देव शब्द का अर्थ अलग है | और भी रोचक बात यह है कि दोनों भाषाओं में अलग अलग अर्थ होते हुए भी दोनों देव एक ही हैं |

हमारी कुछ स्रोतों से प्राप्त जानकारी और समझ के अनुसार सरस्वती नदी के दोनों तरफ वैदिक संस्कृति पनप रही थी | संभवतः सरस्वती देवी भी ज्ञान की देवी इसीलिए बनीं कि उनके तट पर उत्कृष्ट ज्ञान फलता फूलता था | वही संस्कृति जब दोनों तरफ दूर तक फैली तो मतों में भेद भी होने लगा | एक दूसरे से सहमत न होने के कारण पूर्व और पश्चिम के विरोधी मत पनपे जिससे संभवतः दोनों साझा संस्कृतियाँ विरोधी संस्कृतियाँ बन गईं | पूर्व के लोगों ने स्वयं को देव और पश्चिम के लोगों ने स्वयं को असुर कहा | इनमें बार बार युद्ध हुए | भारत वासियों के लिए असुर विलेन बन गए और ईरान वासियों के लिए देव विलेन हो गए | अरबी फारसी कहानियों में अब भी देव विलेन होता है और यूरोपीय कहानियों में डेविल विलेन होता है |

इसे हमारी समझ या अवधारणा के रूप में पढ़ें, इतिहास की तरह नहीं |

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