साधना
सत्य है नित ही प्रगति हित है जरूरी साधना रख तू अनुशासन स्वयं पर पर तू खुद को बांध ना पथ पे कुछ बढ़ने से पहले मन को अपने दृढ़ करो मन में जो हो साध ना तो क्या करेगी साधना ?है नहीं पर्याय अनुशासन दमन का अपने ही दमन ख़ुद का करके नष्ट करो न अपने सपने ही भ्रम में हैं वे लोग जो यम-नियम को समझे दमन दबने को वे नहीं कहते कहते बनने को सुजन -सूर्यांशी
2 comments:
"मन में जो हो साध ना तो क्या करेगी साधना ?"- बिल्कुल सही कहा गया है । लक्ष्यविहीन व्यक्ति कभी भी समझ नहीं पाता कि उसके लिए क्या करणीय है, क्या नहीं ?
साधना हो निरन्तर, साध हर पूरी हो।
साधना है उत्तुंग हिमालय, गहरा सागर, और विस्तृत आकाश..........भगवान करे आपकी हर साधना पूरी हो.......................
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