
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां
मलयजशीतलाम्
सस्यश्यामलां मातरम्
वन्दे मातरम्
शुभ्रज्योत्स्नां पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीम्
सुमधुरभाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम् ॥
पर आज हमारे पास इस समस्या से मुक्ति का उपाय है- इण्टरनेट प्रकाशन । अपने ब्लॉग पर अपनी छोटी-बड़ी बातें लिखिए, जितना हो सके उतना नया और रचनात्मक लिखिए, उन्हें ज्यादा नहीं तो आपके आस-पास के लोग तो पढ़ लेंगे । और अच्छा हो जब वे उस ब्लॉगपोस्ट पर टिप्पणी (Comment) भी दें । दूसरों की प्रतिक्रिया देखकर आपका उत्साह बढ़ेगा और आप और अच्छा लिखने के किए प्रेरित होंगे । इसमें एक फायदा भी है कि इसमें आपके आसपास के लोगों की ही प्रतिक्रियाएँ होंगी, उद्भट विद्वानों की नहीं जो कृति के स्तर पर सवाल उठाएँगे । वे आपके आस-पास के लगभग आप जैसे ही लोग होंगे । आप दूसरों से ऐसे प्रोत्साहन की अपेक्षा रखें उससे पहले आवश्यक है कि आप जिनका ब्लॉग पढ़ें, तो यदि कुछ कहने लायक लगे तो उसपर टिप्पणी अवश्य दें । यह आपकी काव्य प्रतिभा को भी निखारने में सहयोगी होगा ।